शेखपुरा। जिले के सात माध्यमिक विद्यालयों को प्लस टू यानि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का दर्जा देने की सिफारिश जिला शिक्षा विभाग ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना से की है। इस बाबत जिला शिक्षा पदाधिकारी ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि जिले में कुल 66 स्कूलों को प्लस टू हाई स्कूल का दर्जा दिलाने के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 59 हाई स्कूलों को प्लस टू हाई स्कूल का दर्जा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि जिले के 7 माध्यमिक विद्यालयों को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय +2 हाई स्कूल का दर्जा दिलाने हेतु परीक्षा समिति के शैक्षणिक निदेशक ,बिहार पटना से सिफारिश की गई है। जिन हाई स्कूलों को प्लस टू हाई स्कूल का दर्जा देने हेतु सरकार से सिफारिश की गई है। उसमे माध्यमिक विद्यालय पुरैना , राजकीय अनुसूचित जाति बालिका उच्च विद्यालय शेखपुरा, माध्यमिक विद्यालय बरैया बीघा, माध्यमिक विद्यालय ढेवसा – लोदीपुर , माध्यमिक विद्यालय पैन ,माध्यमिक विद्यालय पानापुर और माध्यमिक विद्यालय पिंजड़ी का नाम शामिल है। उधर जिले के 39 प्लस टू विद्यालयों में एक भी शिक्षक अब तक प्लस टू के छात्र – छात्राओं को शिक्षा देने हेतु बहाल नहीं हुए है। जिसके कारण स्कूल को प्लस टू का दर्जा मिलने के बाद भी पढ़ाई शून्य है। इसी तरह जिले के 24 माध्यमिक विद्यालय भी शिक्षक विहीन है।

हालांकि इन विद्यालयों से पिछले कई वर्षों से छात्र -छात्राएं मैट्रिक परीक्षा में शामिल हो रहे है। इस बाबत जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि स्तरोन्नत किए गए उच्च विद्यालयों में पठन पाठन सुचारू रखने हेतु संबंधित मध्य विद्यालयों के कुछ शिक्षकों को लगाया गया है।जबकि कई अन्य हाई स्कूलों से माध्यमिक शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति ऐसे शिक्षक विहीन माध्यमिक विद्यालयों में की गई है।ताकि उन विद्यालयों में पठन पाठन सुचारू रहे।उन्होंने कहा कि प्लस टू विद्यालयों में शिक्षकों की बहाली राज्य सरकार पद सृजित कर भेजने के तुरंत बाद की जाएगी। बता दें कि जिले में सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खोलकर करोड़ों रुपए की राशि से आलीशान विद्यालय भवन का निर्माण कराया जा चुका है।लेकिन इन विद्यालयों में वर्षों से एक भी शिक्षक की तैनाती नही किए जाने के कारण भवन भूत बंगला बना हुआ है। ऐसे भवनों में वर्षों से ताला जड़ा है। कई विद्यालयों में तो लगातार आठ वर्षों से एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है। जबकि धरातल पर बच्चों को माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा मिलना दुश्वार हो गया है। शिक्षा की इस स्थिति से अभिभावक और लाखों जिला वासी काफी चिंतित है। सरकारी शिक्षा की इस बदहाली के कारण हर वर्ष हजारों बच्चे निजी स्कूलों के शरण में शिक्षा हासिल करने हेतु जाने को विवश हैं।
Source:शेखपुरा की हलचल