रबी फसल के बाद अब खरीफ फसल को लेकर अन्नदाताओं के सामने एक बार फिर परेशानी बढ़ गई है। किसानों द्वारा उत्पादित गेहूं अभी ठीक से बिका भी नहीं है कि धान की कटनी शुरू हो गई। खलिहान में फसल भी आने लगी है। अन्न दाताओं का घर अन्न से भर तो रहा, पर इसे बेचने का संकट है। बिक्री नहीं हुई तो आर्थिक स्थिति चरमरा जाएगी, क्योंकि इसी पर सब कुछ निर्भर है। इस बार आगात खेती के कारण पूरे इलाके में घान का उत्पादन बेहतर हुआ है। क्षेत्र में धान की कटनी शुरू हो गई है, लेकिन बेचने की समस्या है।
किसानों ने कहा कि अभी तक सभी क्रय केंद्रों पर व्यवस्थाएं अधूरी हैं। किसान कहां और कैसे अपनी फसल को बेचें, बड़ा संकट बना है। हालत यह है कि क्रय केंद्रों पर कांटा, बाट, बारदाना तक की व्यवस्था अभी नहीं हुई है। किसान फसल बेचने के लिए परेशान हैं। अगर यही हाल रहा तो किसानों को औनें-पौनें मूल्यों पर आढ़तियों के हाथ अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। अभी तक किसी भी पैक्सों में क्रय करने की सुगबुगाहट तक नहीं है, जिसके चलते किसानों के समक्ष परेशानी उत्पन्न हो गई है। कुछ किसान तो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कम मूल्यों पर ही उत्पादन बेच रहे है। इसी बीच कभी-कभार मौसम खराब होनें पर किसानों की घड़कने बढ़ जाती हैं। अगर थोड़ी भी बारिश हुई तो किसानों को नुकसान के अलावा कुछ हाथ नहीं लगेगा।
कहते हैं किसान
घाटकुसुम्भा के किसान सीताराम महतो, राजकपिल महतो, कपिलमुनि कुमार आदि ने बताया कि हाड़तोड़ मेहनत के बाद धान फसल का उत्पादन हुआ लेकिन कोई खरीदार नहीं होने के कारण किसानों की बेचैनी बढ़ने लगी है। फिलहाल उत्पादन को कम मूल्यों पर बेचकर किसान बेटी की शादी, बेटा की पढ़ाई और पत्नी की दवाई की जुगाड़ कर रहे है। डीहकुसुम्भा गांव के किसान महेंद्र यादव ने बताया कि खलिहानों में हार्वेस्टर से कटाई के बाद धान खलिहान में पड़ा हुआ है। लेकिन खरीदारी के लिए कोई सुगबुगाहट नहीं होने के कारण एक बार फिर किसान परेशान हो गए हैं।source : bhaskar
