SHEIKHPURA : इन दिनों हर बड़े छोटे बाजारों में नागपंचमी को लेकर रौनक बढ़ गयी है। सड़क पर आम कटहल की दुकानों सजकर तैयार है। नागपंचमी को लेकर आम कटहल खाने का विशेष पर्व माना जाता है। हिन्दु धर्म में नागपंचमी का पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इस पर्व को सावन महीने की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। जिसमें घरों में लोग पकवान या खीर बनाकर पूजनोत्सव करते है।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं अपने-अपने घरों के दीवार पर गोबर की लकीर या सर्प बनाकर खीर या दुध का भोग लगाकर पुजा करती है। विद्वानो की मान्यता है कि एक किसान अपने परिवार के साथ अपना गुजर बसर करता था। उनके तीन बच्चे थे। उसके दो लडके व एक लड़की थी। एक दिन वह खेत में हल चला रहा था। तो उसके फल मेव में विनध कर सर्प के तीन बच्चों की मौत हो गयी।
बच्चो की मौत पर नागिन विलाप करने लगी। गुस्से में नागिन ने मारने वाले से बदला लेने का प्रण लिया। एक रात जब किसान अपने बच्चो के साथ सो रहा था। तो नागिन ने किसान व उसके दो बच्चो को डस लिया। दूसरे दिन जब नागिन किसान की पुत्री को डसने आई तो बच्ची ने डर के मारे दुध का कटोरा सामने रख दिया। और हाथ जोड़ कर क्षमा मांगने लगी। उस दिन पंचमी का दिन था। और नागिन ने प्रसन्न होकर बच्ची से वर मांगने को कहा।
तब लड़की ने कहा कि मेरे माता पिता व भाई जिवित हो जाये। नागिन ने वर दे दी। और किसान के सभी सर्प दंश से मृत बच्चे जीवित हो गये। तब से यह पुजा सभी लोग करने लगे। और इस दिन लोग अहले सुबह नीम की पत्तियों को दरवाजे, खिड़कियों, छतों, मुंडेरों आदि स्थलों पर टांगते है। मान्यता है ऐसा करने से धर में विषैले सर्पों का प्रवेश नहीं होता है खासकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बड़े ही हर्ष उत्साह के साथ इस त्योहार को मनाते हैं और इस से नाग देवता प्रसन्न रहते हैं।
source: sheikhpura mail