Iran Pakistan Clash : पश्चिम एशिया बन सकता है युद्ध का मैदान, पाकिस्तान का होगा काम तमाम, भारत के लिए क्या है नफा-नुकसान
पश्चिम एशिया में जंग के दो मैदान बन गए हैं, जो क्षेत्रीय शांति के लिए गहरा खतरा पैदा कर रहा है और अगर इस पर काबू नहीं पाया गया, तो यह एक बड़े संघर्ष में बदल सकता है।
पहला थिएटर गाजा है, जहां 7 अक्टूबर को हमास के हमले के कारण इजराइल और हमास के बीच जंग चल रहा है, वही, दूसरा थिएटर पाकिस्तान- ईरान है, जहां दोनों पझ एक दूसरे पर अलगावादी आतंकवादियों की वृद्धि को रोकने में नाकाम ठहराकर एक दूसरे की सीमा में घुसकर हमले कर रहे हैं।
सुन्नी आतंकवादी समूह जैस- अल अदल को रोकने में नाकाम होने पर ईरान ने इस सप्ताह की शुरुआत में पाकिस्तान पर हमला किया और दावा किया कि यह आतंकी संगठन पाकिस्तानी धरती से ईरानी विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। और पाकिस्तान ने एक खुफिया आधारित ऑपरेशन कोड- नाम ‘मार्ग बार शर्माचर’ लॉन्च करके ईरानी हमले का जवाब दिया है।
पाकिस्तान का दावा है, कि पाकिस्तान वायु सेना ने ईरान के अंदर बलूच अलगावादी शिविरों पर हमला किया है और इस हमले में कुछ आतंकवादी मारे गए हैं।
ईरान भारी दबाव में है, क्योंकि अमेरिका और इजराइल दोनों हमास के हमले में उसकी भूमिका ठहरा रहे हैं। और ईरान सिर्फ पाकिस्तान के मोर्चे पर ही नहीं लड़ रहा है, बल्कि इराक में भी उसने कठिन इजरायली जासूसी हेड क्वार्टर पर हमला कर एक नया मोर्चा खोल दिया है। और हमलों को लेकर इराक ने गहरी नाराजगी जताई है।
यमन के हूती विद्रोही और लेबनान के हिजबुल्ला को समर्थन देने के कारण से अमेरिका ईरान से दुखी है, जबकि इजराइल ने चेतावनी दी है, कि अगर है हिजबुल्लाह को बाहरी समर्थन जारी रहा, तो वह जंग को लेबनान तक ले जाने में संकोच नहीं करेगा।
पिछले महीने इस्लामिक स्टेट ने ईरान के करमान में भीषण बम धमाका किया था, जिसने ईरान को हैरान कर दिया और भड़के तेहरान ने इस के ठिकानों को खत्म करने के लिए उत्तरी सीरिया के क्षेत्र पर हमला किया। ईरान ने यह दावा करते हुए इराक के एरबिल पर भी हमला किया, कुर्द आबादी वाला क्षेत्र मोसाद का क्षेत्रीय मुख्यालय है।
तीसरा हमला पाकिस्तान पर उन इलाकों में किया गया जिनका इस्तेमाल जैश-अल-अदल करता रहा। इस हमले ने पाकिस्तान को चौका दिया। और चुनाव से पहले इसने पाकिस्तानी सेना को हमला करने के लिए मजबूर कर दिया। क्योंकि वह मतदाताओं के साथ कमजोर नहीं दिखना चाहती है।
लाल सागर और अरब सागर में हूती विद्रोही के जहाज पर हमले ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि इससे सीधे तौर पर भारत के व्यापार पर असर पड़ेगा। और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसी सप्ताह ईरान का दौरा किया है और कहा जा रहा है कि ईरान के जरिए भारत में हूती विद्रोहियों को मैसेज भी भेजा है।
भारत फिलहाल किसी भी संघर्ष में उलझने के मूड में नहीं है। और भारत की कोशिश है कि डिप्लोमेसी के जरिए भारत ऐसी चुनौतियों को दूर करें। भारतीय विदेश मंत्री की ईरान यात्रा काफी सफल रही है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने इस माह की शुरुआत में कहा था भारत ने कम्युनिकेशन के सारे चैनल खुले रखे हैं। और इजरायल और फिलिस्तीन में नेतृत्व से बात कर रहा है। भारत में युद्ध में फंसे फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए मानवीय मदद भी भेजी है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है, कि तेहरान ने केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर को उनकी ईरान यात्रा के दौरान कहा कि वह हूती विद्रोहियों पर बहुत कम नियंत्रण रखता है। इसके अलावा इस महीने के आखिर में या फिर फरवरी महीने की शुरुआत में इरान के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर भारत यात्रा करने वाले हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि वह भारत सरकार बताएंगे, कि ईरान ने पाकिस्तान के अंदर हमला क्यों किया गया है।
ईरान पर जैश -अल-अद्ल के हमले से यह भी पता चलता है कि भारत ने वैश्विक समुदाय के सामने इस बात को उजागर करने में सही कदम उठाया है, कि पाकिस्तान दशकों से आतंकवाद के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह रहा है। और यह न केवल भारत, बल्कि क्षेत्र के अन्य देशों को भी प्रभावित करता है।
भारत ने ईरान के साथ-साथ सऊदी अरब और यूएई से भी बातचीत शुरू की है। इस महीने की शुरुआत में जब पीएम नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति बालदिमीर पुतिन से बात की थी, तो रूस के साथ क्षेत्रीय विकास पर भी चर्चा हुई थी। पश्चिम एशिया शक्तियों, रुस इजराइल और अमेरिका, यूरोप के साथ भारत के जुडाव से पता लगता है, कि वह इन नेताओं को यह बताने की स्थिति में है कि क्षेत्र में शांति का वातावरण तैयार किया जा सकता है और संघर्ष को बढ़ने से रोका जा सकता है।