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Javed Akhtar On Ram Mandir : जावेद अख्तर ने राम मंदिर पर दिया बड़ा बयान, बोले यह दुनिया का सबसे बड़ा उत्सव है…

जावेद अख्तर भारतीय सिनेमा का एक बड़ा नाम है जो हमेशा ही किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहते हैं। कभी अपने काम को लेकर तो कभी किसी बयान के जरिए चर्च में रहते हैं। आजकल वे राम मंदिर पर दिए गए बयानों के जरिए लाइमलाइट में है।

हाल ही में उन्होंने फिर से एक इवेंट के दौरान श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी राय बयां की है। वेटरन लेखक जावेद अख्तर ने हाल ही में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में आयोजित हुए अजंता- एलोरा फेस्टिवल में अपनी उपस्थिति दर्ज करने पहुंचे थे और इसी दौरान उन्होंने श्री राम मंदिर पर भी अपने विचारों को बयां किया। साथ ही उन्होंने अयोध्या मंदिर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।

जावेद अख्तर ने कहा, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा जब सुप्रीम कोर्ट ने हीं फैसला किया है कि अयोध्या में मंदिर बनना चाहिए, फिर इस पर हंगामा करने का कोई मतलब ही नहीं बनता। उन्होंने मंदिर निर्माण से लोगों की खुशी को ध्यान में रखते हुए कहा कि ‘यह दुनिया का सबसे बड़ा उत्सव है और इसके जश्न मनाने में कोई बुराई नहीं है।’ यह बातें जावेद अख्तर ने एक न्यूज़ चैनल के साथ इंटरव्यू में बताया।

इससे पहले मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे द्वारा आयोजित दीपोत्सव कार्यक्रम में कहते हुए गीतकार जावेद अख्तर ने कहा था कि भगवान राम और देवी सीता न केवल हिंदू देवी -देवता है बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें राम और सीता की भूमि पर जन्म लेने पर गर्व है।

जावेद अख्तर ने कहा था, ‘राम और सीता केवल हिंदू देवी -देवता नहीं है बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत है। हालांकि, मैं नास्तिक हूं ,फिर भी मैं राम और सीता को इस देश की संपत्ति मानता हूं। और इसलिए मैं यहां आया हूं। रामायण हमारी सांस्कृतिक विरासत है और यह आपकी रुचि का विषय है। जावेद अख्तर ने कहा, ‘मुझे राम और सीता कि भूमि पर जन्म लेने पर गर्व है। जब हम मर्यादा पुरुषोत्तम के बारे में बात करते हैं तो राम और सीता ही दिमाग में आते हैं।

अपने भाषण के दौरान जावेद अख्तर ने लोगों से ‘जय सिया राम’ के नारे लगाने के लिए भी कहा। उन्होंने लखनऊ में अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि बचपन में वह ऐसे लोगों को देखते थे जो अमीर होते थे और वह गुड मॉर्निंग कहते थे। लेकिन सड़क से गुजरने वाला एक आम आदमी लोगों का स्वागत ‘जय सिया राम’ कहकर करता था। इसलिए सीता और राम को अलग-अलग सोचना पाप है। सिया राम शब्द प्रेम और एकता का प्रतीक है।सिया और राम एक ही ने बनाए थे। इसलिए जो अलग करेगा वह रावण कहलाएगा। तो आप मेरे साथ तीन बार जय सिया राम का जाप करें और आज से जय सिया राम बोलें।

जावेद अख्तर ने यह भी कहा कि भारत में लोकतंत्र हिंदुओं के कारण से बचा हुआ है, लेकिन उन्होंने कहा कि लोग तेजी से असहिष्णु हो रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अतीत में कुछ लोग ऐसे थे जो हमेशा असहिष्णु थे, लेकिन हिंदू ऐसे नहीं थे। उन्होंने आगे कहा कि ‘हिंदुओं के बारे में खास बात यह है कि उनके दिल में हमेशा एक महानता थी।लेकिन अगर आप इसे खत्म कर देते हैं तो आप दूसरों की तरह बन जाते हैं। आपने जिस तरह से जिंदगी जिया है, वह हमने सीख लिया है। अगर आप इसे छोड़ देंगे तो यह काम नहीं करेगा।’

जावेद अख्तर के करियर की बात करे तो उन्होंने अपने शानदार काम के लिए पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते हैं। उन्होंने 1999 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण प्राप्त किया। जो भारत के दो सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। जावेद अख्तर को सलीम- जावेद की जोड़ी से पहचान मिली। और उन्होंने 1973 की जंजीर से पटकथा लेख के रूप में सफलता हासिल की। जावेद अख्तर ने दीवार और शोले फिल्में लिखी, दोनों 1975 में रिलीज हुई। उन्होंने गीतकार के रूप में अपने काम के लिए प्रशंसा अर्जित की। सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए 5 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 8 बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार जीता।

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