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Munawwar Rana Death : मशहूर शायर मुनव्वर राणा का दिल का दौरा पड़ने से निधन, 71 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

मशहूर शायर मुनव्वर राणा का निधन हो गया है। उन्होंने लखनऊ में 71 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। मुनव्वर राणा की हिंदी, अवधी, उर्दू भाषा में कई रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। हालांकि देश में असहिष्णुता का आरोप लगाते हुए उन्होंने अवार्ड वापस लौटा दिया था।

आज एक मकबूल आवाज शांत हो गई। मां पर कई रचनाएं लिखने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राणा का देर रात कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया। वह कई दिनों से बीमार थे। उनका लखनऊ के पीजीआई में इलाज चल रहा था। उन्हें 9 फरवरी को तबीयत बिगड़ने के बाद आईसीयू में भर्ती कराया गया था। मुनव्वर राणा ने 71 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। मुनव्वर को किडनी और हार्ट संबंधी कई समस्याएं थी।

मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया ने कहा कि उनके पिता का रविवार देर रात अस्पताल में निधन हो गया। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। मुनव्वर के परिवार में उनके पत्नी, चार बेटियां और एक बेटा है। राणा के बेटे तबरेज ने कहा की बीमारी के कारण वह 14 15 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता और फिर एसजीपीजीआई में भर्ती किया गया था। जहां उन्होंने रविवार रात करीब 11:00 बजे अंतिम सांस ली।

पिछले साल मुनव्वर राणा की तबीयत खराब होने पर लखनऊ के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब भी उनकी हालत इतनी बिगड़ गई थी कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। राणा की बेटी और सपा नेता सुमैया राणा ने बताया कहा था कि उनके पिता का स्वास्थ्य पिछले दो-तीन दिनों से खराब है। डायलिसिस के दौरान उनके पेट में दर्द था जिसके चलते डॉक्टर ने उन्हें भत्ती कर लिया। उनके गॉल ब्लैडर में कुछ दिक्कत थी, जिसके चलते उनकी सर्जरी की गई। तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो उसके बाद वह वेंटिलेटर सपोर्ट सिस्टम पर चले गए।

मुनव्वर राणा का विवादों से भी गहरा नाता रहा है। साल 2022 में यूपी में हुए विधानसभा चुनाव से पहले मुनव्वर राणा ने कहा था कि योगी आदित्यनाथ अगर दोबारा सीएम बने तो यूपी छोड़ दूंगा। दिल्ली, कोलकाता चला जाऊंगा। मेरे पिता ने पाकिस्तान जाना मंजूर नहीं किया लेकिन अब बड़े दूख के साथ मुझे यह शहर, यह प्रदेश अपनी मिट्टी को छोड़ना पड़ेगा।

मुनव्वर राणा ने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री के कंधे पर हाथ रखकर ही बुरा कर दिया। जिसके कारण से उन्होंने उत्तर प्रदेश में भेदभाव फैला दिया। इस सरकार ने सिर्फ नारा दिया सबका साथ सबका विकास का, हुआ कुछ नहीं इनका बस चले तो प्रदेश से मुसलमान को छुड़वा दे। उनके लिए दिल्ली कोलकाता गुजरात ज्यादा सुरक्षित है।

साल 2021 में मुनव्वर राणा ने बेटे तबरेज पर हुई फायरिंग के बाद खुद की जान को खतरा बताते हुए गंभीर सवाल उठाए थे। जबकि साल 2020 में कार्टून विवाद को लेकर फ्रांस में स्कूल टीचर की गला रेत कर हत्या करने की घटना को मुनव्वर राणा ने जायज ठहराया था। उन्होंने तर्क देते हुए कहा था कि अगर मजहब मां के जैसा है, अगर कोई आपकी मां का या मजहब का बुरा कार्टून बनाता है या गाली देता है तो वह गुस्से में ऐसा करने को मजबूर है।

मुनव्वर राणा ने किसान आंदोलन पर ट्विटर पर एक शेर लिखा था, जिस पर विवाद हो गया था। अपने इस शेर में राणा ने संसद को गिरा कर खेत बनाने की बात कही और सेठो के गोदाम को जला देने की बात कही थी। हालांकि विवाद होने पर उन्होंने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया था।

मुनव्वर राणा प्रसिद्ध शायर और कवि थे, उर्दू के अलावा हिंदी आरोही भाषा में लिखते थे। मुनव्वर राणा ने कई अलग शैलियों में अपनी गजलें प्रकाशित की। उनको उर्दू साहित्य के लिए साल 2014 का साहित्य अकादमी पुरस्कार और साल 2012 में शहीद शोध संस्थान द्वारा माटी रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया था। उन्होंने लगभग 1 साल बाद अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था। साथ ही बढ़ती है असहिष्णुता के कारण कभी भी सरकारी पुरस्कार स्वीकार नहीं करने की कसम खाई थी।

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