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Success Story : सरकारी डॉक्टर से बने आईपीएस, चार बार हुए फेल, पर हार नहीं मानी, डॉ. राजेश ने पांचवीं बार में यूपीएससी में सफलता हासिल की

पहले एमबीबीएस करके डॉक्टर बने। फिर गरीबों के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत ने IAS बनने का जज्बा पैदा किया। इसके बाद UPSC की तैयारी शुरू की और असफलताओं के बाद आखिरकार आईएएस बनने का सपना पूरा किया। यह कहानी है हरियाणा के रोहत के रहने वाले आईपीएस ऑफिसर डॉक्टर राजेश मोहन की।

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डॉ राजेश मोहन UPSC साल 2020 में 102 रैंक लाकर आईपीएस बने थे। वह हरियाणा के रोहतक के रहने वाले हैं। उनके पिता राजकुमार मोहन सीएम सेक्रेट्री हाउस चंडीगढ़ में तैनात है। मां एक हाउसवाइफ है। छोटा भाई कुलबीर इंडियन आर्मी में है। इसके अलावा उनके सभी चाचा भी विभिन्न सरकारी विभागों में जॉब करते हैं।

आईपीएस डॉक्टर राजेश मोहन ने एमबीबीएस किया। इसके बाद साल 2012 में चंडीगढ़ में एक सरकारी अस्पताल में नौकरी लग गई। यहां इलाज करते हुए उनके मन में हमेशा यह बात खटकती रहती थी कि वह गरीब मरीजों की काश थोड़ी और मदद कर पाते। गरीबों की मदद करने का यह भाव उनके लिए हमेशा UPSC क्रैक करने के लिए प्रेरणा का काम करता रहा।

डॉ राजेश मोहन ने आखिर में एक दिन सरकारी नौकरी छोड़कर पूरी तरह UPSC की तैयारी में लग गए। नौकरी छोड़ने के बाद भी उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान मरीजों का मुफ्त में इलाज किया। हालांकि, यूपीएससी क्लियर करना उनके लिए आसान नहीं रहा। उन्हें इसमें चार बार असफलता हाथ लगी। उन्होंने इसके लिए दिल्ली में कोचिंग क्लास भी ली।

आईपीएस डॉ राजेश मोहन UPSC की तैयारी करने वालों को सेल्फ स्टडी की सलाह देते हैं। उनका मानना है की कोचिंग लेना ठीक है पर सबसे ज्यादा जरूरी खुद पढ़ाई करना है। कोचिंग में कांसेप्ट क्लियर हो सकते हैं पर जब तक खुद से नहीं पढ़ा जाए तब तक वह जेहन में नहीं रहेगा। इसके साथ वह रिवीजन को भी बेहद जरूरी मानते हैं। उनका मानना है कि बार-बार रिवीजन करने से दिमाग में एक इमेज बन जाती है। इसके अलावा निरंतरता तो जरूरी है ही।

डॉ. राजेश मोहन ने यूपीएससी के एथिक्स पेपर के लिए उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी आईपीएस अशोक कुमार के साथ मिलकर एक किताब लिखी है। जिसका नाम ’एथिक्स मेड ईजी: ए यूनिक अप्रोच टू जीएस पेपर- IV है। इसका मकसद यूपीएससी एस्पिरेट्श का मार्गदर्शन करना है।डॉ राजेश मोहन के डॉक्टर से ips बनने की यात्रा एक संदेश देती है कि UPSC की तैयारी एक ट्रांसफॉमेटिव पीरियड होता है। यह यात्रा चुनौतीपूर्ण है लेकिन अधिक जागरुक नागरिक बनने में योगदान भी देती है।

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