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Abu Dhabi Baps Temple : यूएई का पहला हिंदू मंदिर, जमीन मुसलमान की, आर्किटेक्ट ईसाई, प्रोजेक्ट मैनेजर सिख, डिजाइनर बौद्ध, कंपनी पारसी की और डायरेक्टर जैन

UAE यानी संयुक्त अरब अमीरात के पहले हिंदू मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया। बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामी नारायण संस्था द्वारा निर्मित मंदिर के उद्घाटन के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी में भव्य मंदिर को वास्तविकता बनाने के लिए संयुक्त अरब यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद जायद अल नाहयान को धन्यवाद किया और कहा कि उन्होंने खाड़ी देश में रहने वाले भारतीयों के साथ-साथ 140 करोड़ भारतीयों का भी दिल जीत लिया। 700 करोड रुपए की लागत से बनी इस हिंदू मंदिर का उद्घाटन को संयुक्त अरब अमीरात में हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण पल के रूप में देखा जा रहा है। यह मंदिर भले ही हिंदू धर्म का है, लेकिन इसमें हर धर्म का योगदान देखा गया है, चाहे वह मुस्लिम धर्म हो या जैन और बौद्ध।

अबू धाबी का यह पहला हिंदू मंदिर सह -अस्तित्व के विचार का प्रतिनिधित्व करता है। क्योंकि इस हिंदू मंदिर के लिए एक मुस्लिम राजा ने जमीन दान की है। इस मंदिर का मुख्य वास्तुकार एक कैथोलिक ईसाई रहा ,जबकि प्रोजेक्ट मैनेजर एक सिख है। वही फाऊंडेशनल डिजाइनर एक बौद्ध है। जिस कंपनी ने इस मंदिर को बनाया है, वह कंस्ट्रक्शन कंपनी एक पारसी समूह का है और इस मंदिर का डायरेक्टर जैन धर्म से संबंधित है। इस तरह से इस हिंदू मंदिर में हर धर्म के लोगों के प्रतिनिधित्व की झलक दिखती है।

अबू धाबी का यह बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामी नारायण हिंदू मंदिर यानी बीएपीएस हिंदू मंदिर 27 एकड़ जमीन में फैला है। इस हिंदू मंदिर के लिए संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद जायद अल नह्यान ने 27 एकड़ की जमीन दान में दी थी। यह मंदिर दुबई अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल राहबा के पास 27 एकड़ क्षेत्र में बना है, जो करीब 700 करोड रुपए की लागत से बनाई गई है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर अधिकारियों के मुताबिक शिल्प पर स्थापत्य शास्त्रों एवं हिंदू ग्रंथो में उल्लेखित निर्माण के प्राचीन शैली के अनुसार भव्य मंदिर बनाया गया है। संयुक्त अरब अमीरात में अत्यधिक तापमान के बावजूद भक्तों को गर्मी में भी इन टाइल्स पर चलने में अधिक परेशानी नहीं होगी। मंदिर में अलौह सामग्री का भी प्रयोग किया गया है। बीएपीएस के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मा बिहारी दास ने कहा, यहां वास्तु शिल्प पद्धतियों को वैज्ञानिक तकनीकों के साथ जोड़ा गया है। तापमान, दबाव और गति को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर 300 से अधिक उच्च तकनीक वाले सेंसर लगाए गए हैं। सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव डेटा प्रदान करेंगे। यदि क्षेत्र में कोई भूकंप आता है तो मंदिर को इसका पता चल जाएगा और हम अध्ययन कर सकेंगे।

मंदिर के निर्माण में किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया गया है और नीव को भरने के लिए कंक्रीट मिश्रण में 55% सीमेंट की जगह राख का उपयोग किया गया है। मंदिर का निर्माण प्रबंधनक मधुसूदन पटेल ने कहा, हमने परंपरागत सौंदर्य वाली पत्थर संरचनाओं और आधुनिक समय के शिल्प को मिलाते हुए तापमान रोधी सूक्ष्म टाइल्स और कांच के भारी पैनलों का उपयोग किया गया है। यूएई में अत्यधिक तापमान को देखते हुए यह टाइल्स श्रद्धालुओं के पैदल चलने में सुविधाजनक होगी। अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का निर्माण नगर शैली में किया गया है। इसी तरह अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में स्वयं सेवक उमेश राजा के मुताबिक, 20,000 टन से अधिक चूना पत्थर के टुकड़ों को राजस्थान में तराशा गया और 700 कंटेनर में अबू धाबी लाया गया।

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