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अब्दुल मलिक के कारोबार में हर जगह धोखाधड़ी, हर साल होती है 50 लाख कि आय, फिर भी बगैर वेतन के है कर्मचारी

8 फरवरी की शाम बनभूलरपुरा उपद्रव मामले में वांटेड चल रहा अब्दुल मलिक की सोच किसी साम्राज्यवादी सोच से कम नहीं है। रसूखदार मलिक का अकेले हल्द्वानी में ही अरबों का कारोबार है। और अब ये बात सामने आ रही हैं की अब्दुल मलिक जिन शिक्षण संस्थानों के माध्यम से हर साल करोड़ों कमा रहा था, उनमें एक शिक्षण संस्था मरियम कॉलेज है जहां के स्टाफ को 6 महीने से वेतन तक नहीं दिया गया है। अब्दुल मलिक की एक ऐसी संस्था भी है जो रजिस्ट्रेशन खत्म होने के बाद भी चल रही है। यानी जहां कहीं भी कारोबार हुआ वहां किसी न किसी तरह की धोखाधड़ी हुई।

वांटेड मलिक का कमालुवागाजा में 16593.64 स्क्वायर फीट में मरियम कॉलेज आफ पैरामेडिकल एजुकेशन एंड हॉस्पिटल है। वर्तमान में यहां 100 छात्र पढ़ रहे हैं। 3:30 साल के डिग्री प्रोग्राम के लिए हर छात्र से करीब 50 से 60 हजार रुपए हर वर्ष लिया जाता है। हिसाब देखा जाए तो प्रबंधन छात्रों से हर साल 50 लाख रुपए की मोटी कमाई कर रहा है। 18 से 20 कमरों के आलीशान शैक्षणिक संस्थान करीब 14 – 15 का स्टाफ भी है। स्टाफ से खबर ली तो पता चला कि सितंबर साल 2023 से किसी भी कर्मचारी को वेतन नहीं मिला। 28 फरवरी से परीक्षाएं शुरू होने के कारण इस समय कॉलेज में छात्रों का छुट्टी है।

सूचना के अनुसार, मरियम कॉलेज आफ पैरामेडिकल का हिसाब मलिक की पत्नी साफिया रखती है। स्टाफ ने कहा कि वह एक दिन छोड़कर कॉलेज भी पहुंचती थी लेकिन फरवरी में 20 दिन से कॉलेज नहीं आई। प्रधानाचार्य तो महीने में एक बार ही आते हैं। व्यवस्था देखने के लिए कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल ही मौजूद रहती हैं। उनके अनुसार पैरामेडिकल कॉलेज हेमवती नंदन बहुगुणा कॉलेज से संबद्ध है।

किसी भी संस्था को सोसाइटी एंड चिट्स में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। सोसाइटी एंड चिट्स में मिली सूचना के अनुसार, 19 जून साल 2015 को अब्दुल मलिक के पिता अब्दुल रज्जाक जकरिया मॉडर्न टेक्नोलॉजी एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी नाम के संस्था का पंजीकरण कराया था। पंजीकरण की समय 5 वर्ष तक चलती है। जो की 17 जून साल 2020 में समाप्त हो गई थी। उसके बाद से संस्था ने इसे रिन्यू नहीं कराया। तब से गैर पंजीकृत संस्था के रूप में काम चल रहा है। फर्म, सोसाइटी एंड चिट्स की उप निबंधक पूजा नेगी ने कहा कि वर्तमान में यह संस्था अपंजीकृत है।

कमलागाजा रोड स्थित मरियम कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल एजुकेशन एंड हॉस्पिटल को लेकर विवाद चल रहा था। इस कॉलेज के छात्रों ने पिछले साल दिसंबर में कुमाऊं कमिश्नर के जनता दरबार संस्थान के मान्यता न होने को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। वहीं कहा जाता है कि जिस जमीन पर कॉलेज को बनाया गया था, इस जमीन से खरीद को लेकर सवाल उठा था और मामला कोर्ट तक भी गया था।

30 दिसंबर को जनता दरबार में पहुंचे मरियम कॉलेज के छात्रों ने कहा था कि कॉलेज की मान्यता नहीं है, अभी उसकी प्रक्रिया गतिमान है। छात्रों ने फीस वापस लेने और दूसरी जगह दाखिला लेने की बात भी की थी। इसके बाद कुमाऊं कमिश्नर ने संस्थान के स्वामी प्रबंधक को 15 जनवरी तक फीस माफ करने का आदेश दिया था। ऐसा न करने की स्थिति में कार्रवाई भी अमल में लाने की बात कही गई थी।

कहा जाता है कि जिस भूमि पर पैरामेडिकल कॉलेज बना था, यह जमीन अब्दुल मलिक ने एक नीलामी में खरीदी थी। यह भूमि जमीन इंडस्टियल एरिया में थी। जमीन खरीदने के बाद बताया जाता है कि उसमें विवाद हुआ तब मामला कोर्ट तक पहुंचा था,इसमें कहा जाता है कि ये जमीन गैर कृषि होने के कारण अब्दुल मलिक के पक्ष में फैसला हो गया था।

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