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Fire Of Love Red Review : कृष्णा अभिषेक की यह फिल्म निकली सस्पेंस के नाम पर एकदम मजाक, क्रिटिक्स ने दिए ऐसे रिव्यूज

साल 2024 की शुरुआत हो गई है और इसके पहले हफ्ते में ही सिनेमाघर में कृष्णा अभिषेक की फिल्म फायर आफ लव रेड रिलीज हुई। फिल्म के पोस्टर में पायल घोष और कृष्णा अभिषेक दिखाई दे रहे हैं लेकिन इस पोस्टर में एक्ट्रेस के लहंगे को छोड़कर कुछ भी लाल नहीं है। फिल्म को अशोक त्यागी ने बनाया है जो इससे पहले रियासत नाम की मूवी बना चुके हैं। रेड में भी अशोक त्यागी ने वही किया जो उन्होंने रियासत में किया था यानी एक ही सीन को बार-बार दोहराना। उन्होंने थ्रिलर बनाने की वजह मूवी का मजाक बना दिया।

उन्होंने बरसात और महल को दिखाने के बजाय कुछ और ही दिखा दिया लेकिन यह फिल्म क्राइम पेट्रोल और सीआईडी के लंबे एपिसोड से ज्यादा कुछ भी नहीं निकली। इसमें भर भर कर गलियां दिखाई गई है, ड्रग्स और पायल घोष बस यही फिल्म है।

फिल्म की कहानी शुरू होती है मशहूर लेखक राजवीर सिंह की किताब विमोचन से और फिर क्राइम शो के एपिसोड जैसे सड़क पर उन्हें रानी और जग्गू मिलते हैं जो पुलिस से भाग रहे होते हैं क्योंकि जग्गू ने रानी को बचाने के लिए गांव के किसी दुकानदार को मार डाला था। राजवीर उन्हें अपने फार्म हाउस पर ले जाता है और डॉक्टर से जग्गू का इलाज भी करवाता है।रानी को राजवीर अपनी पत्नी के बारे में बताता है और फिर बातों ही बातों में उसे उलझा देता है। रानी पलक झपकते ही गांव की गोरी से शहर की मैडम बन जाती है फिर पता चलता है कि राजवीर बायपोलर है और उसकी पत्नी पूनम की एक विचित्र ही कहानी है।

फिल्म के हीरो कृष्णा अभिषेक ने इससे बेहतर अभिनय ‘कामेडी सर्कस’ और ‘द कपिल शर्मा शो’ में की है। इस फिल्म में कृष्णा के अभिनय को देखकर लग रहा है कि उनका फिल्म करने का मन ही नहीं था। वह घर से आए अपने डायलॉग पढ़े और फिर चले गए पायल घोष की एनीमेटेड आवाज और अभिनय के नाम पर अजीब चेहरा है। जबरदस्ती के लव सीन और बोलते भी इसमें दिखाए गए हैं।फिल्म के बाकी कलाकारों में कुछ भी खास नहीं है कमलेश सावंत अपने किरदार में एकदम फिट बैठते हैं। उनके स्क्रीन पर आते ही दर्शकों के चेहरे पर मुस्कुराहट तैरती है। भले ही वह कुछ दे के लिए ही हो।

इस फिल्म के निदेशक अशोक त्यागी कि इस फिल्म को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे उनकी फिल्म नहीं सीआईडी और क्राइम पेट्रोल के एपिसोड चल रहे हो। डायलॉग उन्होंने हिंदी सिनेमा की शुरुआत से लेकर ओटीटी के समय तक के सारी फिल्मों से ले लिए हैं गालियां भी वह ओटीटी से उधार लेकर आए हैं।फिल्म को जबरदस्ती हॉरर फिल्म का संगीत देखकर सस्पेंस बनाने की कोशिश की गई है लेकिन कुछ भी सही नहीं है। नए साल की शुरुआत में इस तरह की फिल्म कोई नहीं देखना चाहेगा। यह फिल्म एकदम बकवास है इसलिए इसे नहीं देखने जाए तो अच्छा होगा।

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