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Gyanvapi Case : अंग्रेजों ने भी दिया था अधिकार, हिंदुओं के लिए क्यों है खास, ज्ञानवापी व्यासजी तहखाना

वाराणसी जिला अदालत के निर्णय के बाद ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में पूजा पाठ शुरू हो चुकी है। यहां से बैरिकेडिंग भी हटा दी गई है। बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने पहुंच रहे हैं। हिंदू पक्ष के लिए यह निर्णय बहुत बड़ा है। यह तहखाना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के भीतर ही है। दावा है कि साल 1551 से ही व्यास परिवार यहां पर पूजा पाठ करता था।

लेकिन साल 1993 में मुलायम सरकार ने इसे बंद करने का आदेश दिया था। मस्जिद के चारों तरफ लोहे की ऊंची बाड लगा दी गई थी। इसके बाद मुख्य द्वार के अलावा कहीं से भी अंदर जाने का रास्ता नहीं बचा था। खबर के अनुसार, सरकार ने आधिकारिक तौर पर पूजा पाठ पर रोक नहीं लगाई थी लेकिन भीतर जाने का रास्ता नहीं होने के कारण से पूजा पाठ बंद हो गई थी।

अंग्रेजी शासन काल में भी मंदिर और मस्जिद को लेकर दंगा हुआ था। साल 1819 में हुए दंगे के बाद स्थिति को संभालने के लिए वाराणसी के मजिस्ट्रेट ने तहखाना हिंदुओं को सौंपने का आदेश दिया था। अंग्रेजों ने दंगे रोकने के लिए एक हल निकाला। उन्होंने परिसर में ऊपर का हिस्सा मुसलमान को और नीचे का हिस्सा हिंदुओं को दे दिया। पास में ही रहने वाले व्यास परिवार को यहां पूजा पाठ का अधिकार दिया गया था। हालांकि, व्यास परिवार का कहना है कि उनके पूर्वज साल 1551 से ही यहां पूजा पाठ करते थे।

Gyanvapi Case
अंग्रेजों ने भी दिया था अधिकार, हिंदुओं के लिए क्यों है खास

अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद साल 1993 में यहां बाड़ लगा दी गई और घेराबंदी कर दी गई। तहखाना भी बाड़ के अंदर होने के कारण से व्यास परिवार पूजा करने भी नहीं पहुंच पाता था। व्यास परिवार का कहना है कि उन्हें वहां जाने से रोका गया था। यह तहखाना करीब 20 बाई 20 का है। इसकी ऊंचाई 7 फीट के करीब ही है। यहां अंदर भगवान शिवजी, गणेश जी, कुबेर जी, हनुमान जी और गंगा माता की सवारी मगरमच्छ के विग्रह मौजूद है। अब इन्हीं मूर्तियां को पूजा के लिए जिला अदालत में हिंदू पक्ष को सौंप दिया है।

तहखाना में पूजा के लिए सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र कुमार पाठक ने अदालत में गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा कि अंजुमन इंदेजामियां मस्जिद कमेटी ने इस पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। उन्होंने अदालत से पूजा करने का अधिकार मांगा। जिला जज ने उनके प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया और मामले को सीनियर डिवीजन की अदालत से अपने पास मंगा लिया।

कोर्ट में दाखिल पत्रावली में कहा गया कि यहां शतानंद व्यास, सुखदेव ब्यास, शिवनाथ व्यास, विश्वनाथ व्यास, शंभू नाथ व्यास, रुक्मणी व्यास, महादेव व्यास, कालिका व्यास, लक्ष्मी नारायण व्यास, रघुनंदन व्यास, बैजनाथ व्यास, चंद्र व्यास, केदारनाथ व्यास, सोमनाथ व्यास, राजनाथ व्यास, जितेंद्र नाथ व्यास साल 1551 से ही पूजा -पाठ कर रहे हैं।

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