शेखपुरा न्यूज़

पटना उच्च न्यायालय ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन के कार्यों की कड़ी आलोचना करते हुए दी प्रशिक्षित करने की सलाह

शेखपुरा। जिले में शराबबंदी के मामले में अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन के कार्यों की कड़ी आलोचना करते हुए इस मामले को मुख्य सचिव को भी इन्हे प्रशिक्षित करने की सलाह दी है। मुख्य सचिव को राज्य के सभी डीएम-एसपी और उत्पाद पदाधिकारी को देश या देश के बाहर शराब के तस्करी को रोकने के विभिन्न उपायों के प्रशिक्षण दिलवाने की सलाह दी है।

पटना उच्च न्यायालय ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन के कार्यों की कड़ी आलोचना करते हुए दी प्रशिक्षित करने की सलाह
पटना उच्च न्यायालय

पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पूर्णेंद्रु सिंह ने शराबबंदी के एक मामले में कार्रवाई करते हुए एसपी और जिला प्रशासन के कार्यों को अकर्मण्य बताते हुए अभियुक्त को अग्रिम जमानत की सुविधा प्रदान की। साथ ही यहां के मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ने इस मामले में बिहार के मुख्य सचिव को राज्य के सभी परिवहन पदाधिकारी को शराबबंदी में पकड़े गए वाहनों के असली मालिकों के सत्यापन करवाने का निर्देश दिया है।। खासकर राज्य के बाहर के निबंधित वाहनों के कारण राज्य में शराब की तस्करी और शराब के कारण मृत्यु की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। इस संबंध में जानकारी देते हुए जिले के तेउस गांव निवासी पटना उच्च न्यायालय में कार्यरत अधिवक्ता दिवाकर कुमार ने बताया कि शेखपुरा थाना अंतर्गत कुसुंभा ओपी पुलिस ने पिछले साल 68 लीटर विदेशी शराब के साथ इंडिका कार बरामद किया था।

कार के साथ गिरफ्तार चालक पवन कुमार के बयान के आधार पर स्थानीय पुलिस ने इस मामले में पश्चिम बंगाल के बर्धवान जिला अंतर्गत दुर्गापुर थाना अंतर्गत फरीदपुर गांव निवासी सीताराम शाह को वाहन का मालिक बताते हुए अनुसंधान के क्रम में अभियुक्त बनाया। परंतु जमानत की सुविधा के लिए याचिका पर सुनवाई के दौरान अभियुक्त के द्वारा यह बात सामने आई कि वह निबंधित संबंधित वाहन से दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद 2020 में ही उसे वहां को इंश्योरेंस कंपनी दुर्गापुर को सुपूर्द कर दिया था। जिसके एवज में कंपनी द्वारा उसे लगभग 3 लाख रुपए की मुआवजा राशि भी प्राप्त हुई थी। इन तथ्यों पर कड़ा एतराज जताते हुए न्यायमूर्ति ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन के कार्यों कोअक्रमन्यता पूर्ण कार्य बताते हुए शराबबंदी कानून को पूरी तरह लागू नहीं करने वाला बताया ।

सभी जिला परिवहन पदाधिकारी को वाहन के सत्यापन के लिए विशेष निर्देश जारी करने के अलावा बिहार के मुख्य सचिव को इस पूरे मामले को रेफर कर दिया है। न्यायमूर्ति ने इस मामले में मुख्य सचिव को मामला रेफर करते हुए शराबबंदी मामले में लगे सभी जिलाधिकारी पुलिस पदाधिकारी और उत्पाद पदाधिकारियों को बेहतर प्रशिक्षण के उपाय सुझाए हैं यह प्रशिक्षण भारत के किसी प्रतिष्ठित या देश के बाहर के प्रतिष्ठित संस्थान द्वारा दिए जाने का सुझाव दिया है। ताकि इनके प्रशिक्षण के द्वारा इन्हें दक्ष बनाए जाने के बाद राज्य में शराब के तस्करी और माफिया राज की समाप्ति संभव हो सके। जिसके कारण राज्य की अर्थव्यवस्था इन लोगों के चंगुल में बंद चुकी है और यह अपने अंतिम सांस गिन रही है।

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