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Ram Mandir : बहुत रोई पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, कहा- अयोध्या में मेरे साथ जो हुआ, कभी नहीं भूल सकती….

इंदौर में सेवा सुरभि द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन बहुत रोई। अयोध्या राम मंदिर से लौटकर भगवान राम लला के दर्शन के बारे में अपने अनुभव को सुनाते हुए खूब रोने लगी। और उन्होंने कहा कि मैं वह अनुभव सुनाते समय खुद पर संयम नहीं रख सकती। वहां मुझे जो अनुभव हुआ उसे मैं कभी नहीं भूल सकती। भगवान राम को देखकर मुझे वहां भी आंसू आ गए थे और आज उस अनुभव को सुनाते समय फिर मेरी आंखें नम हो गई है।

पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा वहां हर बड़ा व्यक्ति भी छोटा नजर आ रहा था। अयोध्या में राम मंदिर में सब व्यक्ति आम नागरिक बनकर पहुंचे थे। बड़े-बड़े लोग वहां व्यवस्था में लगे हुए थे। देखना, अब राम राज्य आएगा। वह दृश्य देखने के लिए मेरी आंखें तरस गई थी। वहां पर सभी यह कह रहे थे कि रामलला को जी भर कर देखेंगे, हमने भी तो मंदिर के लिए अपना योगदान दिया है। इतना बड़ा आयोजन हो गया लेकिन किसी को कोई परेशानी नहीं हुई। अपनी लाठी से एक साधु ने पुलिस वाले की पिटाई की लेकिन पुलिस वाले ने खुशी-खुशी मार खा ली। एक ताई ने कहा कि जब मैं रामलला को देखा तो आंखों में आंसू आ गए। पर मैं जब रामलला की आंखों में देखा तो लगा कि उनकी आंखें भी भीगी हुई है। जैसे वह कह रहे हो कि मैं आ गया। यह अनुभव मैं कभी नहीं भूलूंगी।

अयोध्या से लौटकर अपने अनुभव को सुनाते हुए गुरमीत नारंग ने कहा ईश्वर के दरबार से मुझे सम्मान मिला और राम मंदिर जाने का निमंत्रण मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कहा अब हमारे राम आ गए हैं तो सबकी आंखों में आंसू आ गए। राम विजय नहीं विनय है।

कृष्ण कुमार अष्ठाना ने कहा मन ही नहीं भर रहा था। शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आध्यात्म यात्रा से इसलिए वापस आए क्योंकि उन्हें देश को यह दिखाना था। राम तो आ गए अब राम राज्य लाना है। जिम्मेदार नागरिक बनना है। अब हमें राम राज्य के श्रेष्ठ नागरिक बनना है। राष्ट्र ने बहुत कीमत चुकाई अब रामराज लाएं।

पूर्व राज्यपाल कोकजे ने बताया राम मंदिर इसलिए गिराया गया था क्योंकि भारतीय लोगों के मन में डर बैठाना था। यह राष्ट्रीय अस्मिता का कार्यक्रम था। बहुत भावुक कार्यक्रम था। उन सभी की यादें ताजा हो गई जिन्होंने इस आंदोलन में प्राणो कि आहुती दी थी। 92 साल के वकील ने केस लड़ा और 96 साल की उम्र में उन्होंने राम मंदिर बनते देखा। केस लड़ते वक्त उन्होंने घंटो कोर्ट में पैरवी की लेकिन पूरे वक्त खड़े रहे और जूते तक नहीं उतारे।

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