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Haldwani News : उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार देस्थल पर लगे खून के धब्बे,उत्तराखंड मे खुनी उपद्रव के बाद आने से डरेंगे पर्यटक।

उत्तराखंड अपनी संस्कृति सभ्यता निर्भीक सेवा भाव अमन चैन, सद्भावना और शांति प्रिय जीवन शैली के लिए एक मिसाल है। देश और दुनिया के कोने-कोने से यहां पहुंचने वाले लोग यहां कि शांत, वादियों, हंसमुख चेहरे और सुंदर दृश्य पसंद करते हैं। धार्मिक क्षेत्र में यहां के पौराणिक देव स्थल, उनकी पौराणिक कथाएं, शैलियों और पर्यटन या साहसी क्षेत्र में यहां की ऊंची ऊंची पहाड़ियां हरे-भरे बुग्याल शांत वादियां उत्तराखंड का परिचय देते हैं। हालांकि हल्द्वानी के खूनी उपद्रव के बाद पर्यटक के मन में असुरझा का भाव भी दिख रहा है।

वैसे तो हर किसी के मन में उत्तराखंड का नाम आते ही शांति का ख्याल मन में आने लगता है। मानो उत्तराखंड का समानार्थी शब्द ही शांत या शांति से जुड़ा हो। इतिहास में देखा जाए तो वह भी बड़ा शांत सा ही है। गुरुवार को घटित हुई हल्द्वानी उपग्रह की घटना ने उत्तराखंड के शांति प्रिय इतिहास पर ब्रेक लगा दिया। प्रदेश के हल्द्वानी शहर से लगे बनभूलपुरा क्षेत्र में अचानक पत्थरों की बरसात हुई। मामला था कि यहां पुलिस प्रशासन की टीम ने अवैध मस्जिद पर कार्यवाही की।

प्रशासन की टीम पर अवैध निर्माण पर बुलडोजर चला देख कुछ लोगों ने उन पर पत्थर से हमला शुरू कर दिया। यह घटना उत्तराखंड के इतिहास में शायद ही पहली बार हूआ है। यहां के लोगों को इसका अंदाजा भी नहीं था। और देखते ही देखते हिंसा भड़की पुलिस वाले घायल हो गए। कुछ लोग उपद्रव में अपनी जान गवा बैठे। कुछ जान बचाने के लिए अपने घरों में दुबक गए। कर्फ्यू लगा और भारी पुलिस बल तैनात हो गया। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर उत्तराखंड की शांत वादियां चोटिल क्यों हुई।

उत्तराखंड तो हर आगंतुक का सम्मान करता है। और बड़े स्वादिष्ट पहाड़ी व्यंजन खिलाकर हर किसी का मन मोह लेता है। उत्तराखंड के छोटे से परिचय में यह सब भी शामिल है। इस देव भूमि के परिचय के पन्नों में यह इतना खतरनाक और खून से सना बदलाव आखिर क्यों हुआ। एक ऐसा दाग जिसकी कल्पना उत्तराखंड के लोगों ने तो दूर यहां आकर इस प्रदेश को जानने वालों ने भी नहीं किया होगा।अब सवाल यह है कि इस देवभूमि के परिचय के पन्नों में हुए इस खून से सने बदलाव को कैसे मिटाया जाएगा। यहां आने वाले लोग पहले की तरह यहां की फिजाओं को देखकर किलकारियां मारेंगे या डरें सहमें रहेंगे।

अब भावुकता से हटकर यदि शासकीय और खुफिया एजेंसियों के स्तर की बात करें तो क्या एक अतिक्रमण तोड़ने पर इतना बवाल हो सकता है, इसकी सूचना पहले से नहीं थी यदि थी तो इंतजामों में इतनी कमी क्यों हुई। 300 से अधिक लोग इसके शिकार हो गए। देव भूमि की शांति चोटिल है और कराह रही है। हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शांति बहाली और उपद्रवियों पर कार्यवाही करने का दावा किया है।

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