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Kothari Brothers Story : राम मंदिर के लिए खाई सीने में गोली, आज भी याद किया जाता है कोठारी बंधुओं का बलिदान

500 साल के संघर्ष और इंतजार के बाद आखिरकार अयोध्या का राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयार है। 22 जनवरी को रामलला पूरे हिंदू शास्त्र विधान के साथ मंदिर में स्थापित होने वाले हैं। हालांकि यह पल लाखों लोगों के बलिदान के बाद आया है। इतिहास कहता है कि 1528 में मंदिर तोड़े जाने के समय साधु- संतों और बाबर की सेना के बीच युद्ध हुआ था। 1,74,000 हिंदुओं के मारे जाने के बाद मीर बाकी को मंदिर ढहाने में सफलता मिली थी। इसमें देवीदीन पांडे ,महाराज रणविजय सिंह, रानी जयराज कुमारी हंसवर, स्वामी महेश्वरानंद जी का नाम आज भी याद किया जाता है। इसके सैकड़ो साल बाद जब राम मंदिर आंदोलन फिर से चला तो कोलकाता के रहने वाले दो भाइयों ने बाबरी पर भगवा झंडा फहरा दिया। इसी के 3 दिन बाद उन्हें सड़क पर खड़ा करके गोली मार दी गई।

रामकुमार कोठारी 22 साल और शरद कोठारी 18 साल के थे। दोनों ही सगे भाई थे। वह कोलकाता के बड़ा बाजार में रहते थे। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे। साल1990 में जब राम मंदिर आंदोलन चला तो उन्होंने भी कार सेवा में जाने का निर्णय किया। उस समय अयोध्या में राम मंदिर की कार सेवा के लिए देश के कोने-कोने से लोग पहुंच रहे थे।

कोठारी बंधु जब अयोध्या जाने के लिए तैयार हुए तो उनके पिता ने यह कह कर उन्हें रोकना चाहा कि कुछ दिन बाद ही उनकी बहन पूर्णिमा की शादी है। उन्होंने कहा की शादी तक वे लौट आएंगे। यही वादा करके वह घर से निकल गए। लेकिन फिर लौटकर कभी नहीं आए। उन्होंने 22 अक्टूबर की रात को कोलकाता से ट्रेन पकड़ी और वाराणसी पहुंचे। यहां से उन्होंने टैक्सी ली जिसे रास्ते में ही रोक दिया गया। इसके बाद दोनों भाइयों ने आजमगढ़ के फूलपुर से पैदल यात्रा शुरू की। लगभग 200 किलोमीटर चलकर वे अयोध्या पहुंच गए।

1990 के अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में दोनों भाइयों ने कार सेवा में शामिल होने का फैसला किया था। उसी साल बाबरी मस्जिद और राम मंदिर के बीच विवाद का सबसे बड़ा आंदोलन हुआ था। जिसमें 30 अक्टूबर 1990 को विवादित परिसर में बने बाबरी मस्जिद के गुंबद पर कोठारी बंधुओं ने भगवा झंडा फहराकर कार सेवकों के बीच सनसनी फैला दी थी। उस समय अयोध्या में कर्फ्यू लगा हुआ था। तभी अशोक सिंघल, उमा भारती और विनय कटिहार की अगुवाई में कार सेवकों का जत्था विवादित परिसर की तरफ बढ़ता जा रहा था। अयोध्या में लाखों कार सेवक पहुंच चुके थे। कहा जाता है कि करीब 5,000 कार सेवक विवादित परिसर में पहुंच गए थे। तभी मौका देखकर कोठारी भाई को गुंबद पर चढ़ गए और भगवा झंडा लहराने लगे।

दोनों भाइयों ने पुलिस प्रशासन को चुनौती दी थी। और मस्जिद के गुंबद पर भगवा झंडा लहराया था। कोलकाता के कोठारी भाइयों का बाबरी मस्जिद पर भगवा झंडा लहराने की घटना अयोध्या में काफी चर्चित है।

इस घटना के तीन दिन बाद ही तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया था। कार सेवा में शामिल रहे डॉ .रंजीत सिंह कहते हैं कि 2 नवंबर को विनय कटियार कि अगुआई में एक जत्था हनुमान गढ़ी की तरफ जा रहा था। तभी पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी। कई लोग वहां एक मकान में छुप गए। पुलिस ने एक भाई को निकाला और सड़क पर गोली मार दी। उसे संभालने के लिए जब दूसरा भाई निकला तो उसे भी गोली मार दी। दोनों भाई अयोध्या की सड़क पर ही दम तोड़ चुके थे। उनका कहना है कि एक तरफ गोलियां चल रही थी और दूसरी तरफ जय श्री राम का उद्घोष हो रहा था। इसके बाद ही पूरे देश के हिंदुओं में आक्रोश व्याप्त हो गया और मुलायम सिंह को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।

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