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Merry Christmas Film Review : साउथ सुपरस्टार विजय सेतुपति और कैटरीना कैफ की जोड़ी वाली यह फिल्म है बेहद कमाल जाने मेरी क्रिसमस के रिव्यूज

5 साल पहले डायरेक्टर श्री राम राघवन ने एक फिल्म बनाई थी जिसका नाम था अंधाधुन।अब उन्होंने कैटरीना कैफ और साउथ सुपरस्टार विजय सेतुपति के साथ एक और फिल्म बनाई है।इस फिल्म का नाम है मेरी क्रिसमस इसका ट्रेलर काफी सस्पेंस भरा है और लोगों को यह पसंद भी आ रहा .

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इस फिल्म की कहानी में एक रात, दो अजनबी, एक मर्डर और चारों ओर फैला सस्पेंस है। इस फिल्म में कैटरीना कैफ मारिया का रोल निभा रही है और विजय सेतुपति अल्बर्ट के रोल में दिखाई दे रहे हैं।यह दोनों अजनबी है और दोनों एक रात को मिलते हैं जैसे-जैसे रात आगे बढ़ती है। वैसे-वैसे इनके बीच का रोमांस और इस कहानी का सस्पेंस गहरा होता जाता है।

इस कहानी की शुरुआत में दो मिक्सर ग्राइंडर होते हैं जिसमें सफेद और नीली टैबलेट डाली जाती है और दूसरे में मूंगफली और लाल मिर्च इन दोनों मिक्सर की अपनी स्टोरी है जो आपको फिल्म में आगे जाकर पता चलेगी। एल्बर्ट सालों बाद मुंबई शहर आता है।उसका कहना है कि वह आर्किटेक्ट है और दुबई में रहता है।मुंबई में अल्बर्ट का घर है लेकिन उसके साथ रहने वाली उसकी मां चल बसी है।क्रिसमस के मौके पर वह घर में बैठने के बजाए बाहर घूमने निकल जाता है।मुंबई में इधर-उधर घूमने और लोगों को देखने के बाद वह एकरेस्टोरेंट में जाकर खाना खाने का फैसला करता है। यही उसकी मुलाकात मारिया और उसकी बेटी एनी से होती है.

इसके बाद दोनों अलग ही नहीं होते. मारिया जहां जाती है एल्बर्ट उसके पीछे रहता है. कभी सिनेमाहॉल में तो कभी चर्च में. मारिया उसे अपने घर ले जाती है. दोनों दिल खोलकर डांस करते हैं और एक दूसरे को अपनी जिंदगी के बारे में बताते हैं. इसके कुछ घंटों के बाद एल्बर्ट खुद को एक मर्डर मिस्ट्री में उलझा पाता है.

मेरी क्रिसमस की कहानी को डायरेक्टर श्री राम राघवन ने अर्जित बिस्वास और पूजा लढा सुरति के साथ मिलकर लिखा है. ये फिल्म इस बात का अच्छा उदाहरण है कि अच्छी राइटिंग क्या होती है. पिक्चर में इतना सारा सस्पेंस है कि वह धीरे-धीरे खुलता है। इसका स्क्रीन प्ले आपको इस फिल्म के साथ जोड़े रखता है। इसमें आपको कहीं भी बोर होने का मौका नहीं मिलेगा लेकिन इसमें कुछ ऐसा नहीं होता है जिसे देखकर आप उछल पड़े पिक्चर में ऐसी चीज होती है जिन्हें देखकर अब बार-बार उसे बारे में सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।पर्दे के पीछे के कई सीन आपको अपनी जगह से हिलने भी नहीं देंगे।

Monte-charge पर आधारित इस फिल्म में कटरीना और विजय सेतुपति के अलावा कई सपोर्टिंग किरदार हैं. लेकिन साथ ही चीजों को भी श्रीराम राघवन किरदारों की तरह ही ट्रीट करते हैं. कटरीना के अपार्टमेंट का हरा वॉलपेपर, फिश बाउल में मछलियां, क्रिसमस ट्री, ओरिगामी से बनी हंस, टेडी बियर हर चीज फिल्म में कोई न कोई रोल निभा रही है. इन सभी को दिलचस्प बनाया है डेनियल बी जॉर्ज के बैकग्राउंड म्यूजिक और लाइटिंग ने.

राघवन ने अपनी फिल्म में हिंदी फिल्मों को भी ट्रिब्यूट दिया है. जैसे लक चेक करने की मशीन से निकला राजेश खन्ना का कार्ड, सड़क पर लगा अमिताभ बच्चन का एंग्री यंग मैन वाला कट आउट. इस फिल्म के एक बड़े सीन में 1973 में आई फिल्म राजा रानी का गाना जब अंधेरा होता है आधी रात के बाद यह सभी एलिमेंट्स इस फिल्म को मजेदार बनाते हैं।साथ ही पुराने वक्त की याद भी दिलाता है। इसका क्लाइमेट लगभग 30 मिनट तक चलता है और यह मूवी का वीक पॉइंट भी है.

विजय सेतुपति और कटरीना कैफ की जोड़ी काफी यूनीक है.कटरीना कैफ ने भी काफी अच्छा काम किया है. उनकी बॉडी लैंग्वेज, उनका पूरा अंदाज काफी बढ़िया है.फिल्म में विनय पाठक, टीनू आनंद, संजय कपूर, प्रमिता काजमी और अश्विनी कलसेकर ने काम किया है. सभी ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया. एक्ट्रेस राधिका आप्टे का छोटा-सा कैमियो भी अच्छा था. इसमें भी आपको काफी कुछ डार्क देखने को मिलेगा, लेकिन ये आराम से बैठकर एक्सपीरिएंस करने वाली फिल्म है.

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