नौकरीभारत की खबरें

Success Story : लंदन में पढ़ाई के बाद ज्वाइन की मिलिट्री, फिर ससुर का साम्राज्य बुलंदियों तक पहुंचा दिया

आजादी से कुछ समय पहले की बात है ।साल 1946 में चौधरी राघवेंद्र सिंह ने दिल्ली लैंड एंड फाइनेंस नाम की कंपनी की नीव रखी। शुरुआत में कंपनी ने दिल्ली में रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टीज का डेवलपमेंट किया। साल 1960 के दशक में डीएलएफ ने दिल्ली के बाहर अपना विस्तार शुरू किया। गुरुग्राम में एक नया शहर विकसित करने का बेड़ा उठाया। चौधरी राघवेंद्र ने इस कंपनी की बुनियाद तैयार की तो इसे बुलंदियों तक पहुंचाने का श्रेय उनके दामाद कुशल पाल सिंह यानी केपी सिंह को जाता है। वह डीएलएफ के एमेरिटस अध्यक्ष भी है।

डीएलएफ आज देश की सबसे बड़ी लिस्टेड रियल एस्टेट कंपनी है। केपी सिंह के बेटे राजीव सिंह अब इसकी कमान संभाल रहे हैं। हालांकि, करीब 50 वर्ष तक इस कंपनी के बागडोर केपी सिंह के हाथों में थी। गुरुग्राम में किसानों की जमीनों के बीच शीशे की दीवारों और ऊंची इमारत के चमचमाती शहर का सपना केपी सिंह ने हकीकत में बदल दिया।

गुरुग्राम का विकास डीएलएफ के सफलता की कहानी का अहम पड़ाव था। कंपनी ने शहर में आवासीय वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्र का विकास किया। इसके प्रोजेक्ट में डीएलएफ साइबर सिटी, डीएलएफ एंम्पोरियो, डीएलएफ प्राइम टावर्स शामिल है। अगर यह सब मुमकिन हो पाया तो उसके पीछे एक आदमी का हाथ था। वह थे केपी सिंह।

केपी सिंह मूल रूप से बुलंदशहर के रहने वाले हैं। उनकी पढ़ाई यही के मदरसे में हुई थी। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड से एयरोनॉटिकल इंजीनियर की। फिर वह इंडियन आर्मी से जुड़ गए। साल 1961 में केपी सिंह ने सेना की नौकरी छोड़ दी। उन्होंने मोटर और बैटरी बनाने के कारोबार में कदम रखा। परिवार के कहने पर साल 1975 में उन्होंने डीएलएफ को रिवाइव करने का बेड़ा उठाया। इसकी नींव उनके ससुर चौधरी राघवेंद्र सिंह ने साल 1946 में रखी थी। इस कंपनी ने बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत आए लोगों के लिए दिल्ली में 21 कॉलोनियां तैयार की थी। यह और बात है कि साल 1975 में कंपनी बंद होने के कगार पर पहुंच गई थी।

केपी सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों से जमीन खरीदने की थी। कारण था कि उनके पास इसके लिए पैसे नहीं थे। हालांकि, वह लोगों का विश्वास जीतने में सफल हुए। इसके चलते उन्होंने डीएलएफ को बुलंदियों तक पहुंचा दिया। उन्होंने डीएलएफ को दिल्ली की सीमा से बाहर निकाला। गुरुग्राम में कंपनी ने कई प्रोजेक्ट तैयार किए। साल 2020 के आते ही केपी सिंह ने डीएलएफ के अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ दी थी।

कुशल पाल सिंह के कप्तानी में डीएलएफ ने गुरुग्राम में कई भूकंपरोधी ऑफिस बिल्डिंग, अपार्टमेंट और शॉपिंग मॉल बनाएं। कंपनी साल 2007 में अपना आईपीओ लाई थी। यह भारत में सबसे बड़े आईपीओ में से एक था। आज इस कंपनी का मार्केट कैप बढ़कर 24.5 अरब डॉलर हो गया है। इससे केपी सिंह और उनके परिवार की गिनती दुनिया के सबसे दौलतमंद परिवारों में से एक में होती है। केपी सिंह देश के सबसे अमीर रियल एस्टेट कारोबारी में से एक हैं। पिछले साल डीएलएफ में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी थी।

कितनी है एक कप चाय की कीमत? एक दिन में इतना पैसा कमाता है Dolly चायवाला? अगर आपको सांप डस ले तो भूलकर भी ना करें ये 6 काम जैकलिन फर्नांडीज ने रेड रिविलिंग ड्रेस में उड़ाए लोगों के होश बिना मेकअप पति संग बच्चों के स्कूल पहुंची ईशा अंबानी, पहना था इतना सस्ता कुर्ता इंटरनेट से पहले बच्चे ऐसे करते थे मौज-मस्ती